भारतीय त्योहार पर निबंध – Essay on Indian Festivals in Hindi

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भारतीय त्योहार पर निबंध – Essay on Indian Festivals in Hindi

 

जीवन समाज का निर्माता है। हमारा अतीत संस्कृति का निर्माता है। संस्कृति त्योहारों से पुष्ट होती है। बनारसीदास चतुर्वेदी के शब्दों में “जब किसी जाति में क्रियात्मक कल्पना-शक्ति का अभाव हो जाता है, तो वह अपने प्राचीन गौरव का गान करने और पुराने रीति-रिवाजों की निर्जीव नकल करने में ही अपने जीवन को सार्थक समझने लगती है।“ यदि इस कथन के लिए दृष्टांत चाहिए, तो हमारे उत्सवों को देख लीजिए। प्रत्येक देश, समाज तथा जाति में इसीलिए उत्सव मनाए जाते हैं।


भारतीय त्योहार पर निबंध – Essay on Indian Festivals in Hindi

धार्मिक त्योहार पर निबंध


आज का युग एक विज्ञान का युग है जिसे हम आधुनिक युग कहते है। आज मानव चाँद पर जा चुका है और दूसरे ग्रहों पर जाने की ईक्षा रखता है। ये सभी विकाश तब टॉक संभव नहीं है जब तक की हम बौद्‌धिक विकास के साथ-साथ उसमें भावनात्मक विकास न हो। हमारे देश के त्योहार, हमारे पर्व, मनुष्य के भावनात्मक विकास में सदैव सहभागी रहे हैं ।


भारतीय जनजीवन में त्योहारों का बड़ा महत्त्व है। हमारा भारत विश्व भर मे अपने अनेकता मे एकता के रूप मे और अनेकों प्रकार के पर्व के रूप मे जाना जाता है। त्योहारों के बिना हमारा जीवन सूना, नीरस तथा ऊन्च भरा हुआ है । त्योहार जीवन में परिवर्तन तथा उल्लास लेकर आते हैं। इस तरह त्योहार अतीत के जीवनगत आदर्शों की छाप भी छोड़ जाते हैं। 


जीवन पग-पग पर संघर्षशील तथा कष्टमय है। इस तनाव तथा पीड़ा को भुलाने के लिए त्योहारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। भला ऐसा कौन व्यक्ति है. जो होली पर मस्ती में झूमने नहीं लगता, दीपावली तथा दशहरे पर गम्भीरतापूर्वक जीवन-मूल्यों के बारे में सोच विचार नहीं करता। 


होली पर निबंध


हमारे देश मे कभी हिंदुओं की दीवाली होती है तो कभी सिक्ख भाईयों की वैशाखी। मुसलमान भाई कभी ईद की खुशियाँ मनाते हैं तो कभी ईसाई क्रिसमस के अवसर पर चर्च में प्रार्थना करते दिखाई देते हैं । ये त्योहार मनुष्य की नीरस जिंदगी में सुखद अहसास दिलाती हैं ।


हमारे जीवन में त्योहारों के दो वर्ग हैं धार्मिक या पौराणिक तथा राष्ट्रीय । प्रथम वर्ग के त्योहार हमारी सांस्कृतिक राष्ट्रीयता को उजागर करके पौराणिक संस्कृति के परिवेश में आदर्श जीवन जीने की राह दिखाते हैं। ईद, बड़ा दिन , क्रिसमस, दशहरा, दीवाली, होली, बसंत पंचमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रक्षा बन्धन, भैया दूज आदि त्योहार धार्मिक पौराणिक परिवेश के हैं। 26 जनवरी, 15 अगस्त, 5 सितंबर तथा 14 नवम्बर राजनैतिक तथा राष्ट्रीय महत्त्व के त्योहार हैं।


त्योहारों पर निबंध हिंदी में - Essay on Festivals In Hindi


उपर्युक्त मुख्य त्योहारों के अतिरिक्त प्रादेशिक तथा जातिगत वातावरण के स्थानीय त्योहारों का भी अपना महत्त्व है। इनमें भौगोलिक स्थितियों तथा रूढ़ियों की धार्मिक झलक विद्यमान रहती है। त्योहारों का विशेष महत्त्व लोकमंगल, मानवतावाद, एकता तथा पारस्परिक मैत्री पैदा करना होता है। समाज को प्रेम-योग की सुदृढ इकाई बना देने में त्योहारों विशिष्ट भूमिका है।


प्रत्येक त्योहार की पीठिका में किसी महान आत्मा, अथवा अभूतपूर्व घटना का आधार रहता है। उसी के जीवन-प्रवाह को अमर रखने के लिए समाज उसे दोहराता है। हिन्दुओं, मुसलमानों, सिक्खों, पारसियों तथा ईसाइयों के सारे धार्मिक त्योहार असत्य पर सत्य की तथा अज्ञान पर ज्ञान की विजय का संदेश देते हैं। विजय का यह संदेश ही त्योहारों का आदर्श है।


प्रत्येक त्योहार के साथ हमारी लोकमान्यताएं जुड़ी हुई हैं। त्योहार जीवन का विशेष संस्कार करते हैं। संस्कृति का विकास तथा संरक्षण त्योहारों से ही होता है। त्योहार सदाचार की सीख देते हैं। हमारे जीवन-दर्शन तथा संस्कारों पर पड़ रही परतों को हटाकर जीवन की मूलभूत जिज्ञासा को उजागर करते हैं। त्योहार हमारी धार्मिक ही नहीं, वरन राष्ट्रीय भावना को भी सुदृढ़ करते हैं। 


त्योहारों के बिना हमारा जीवन अपूर्ण है, नीरस और असंस्कृत है। इन त्योहारों की शुद्‌धता, पवित्रता व मूल भावना को बनाए रखने का दायित्व हम सभी देशवाशियों पर है । ये त्योहार हमारी भारतीय संस्कृति का गौरव हैं और हमारी पहचान भी हैं । इनके महत्व के कम होने का सीधा अर्थ यह है की हमारी अपनी पहचान को खो देना जिसे हम जैसे जिम्मेदार नागरिक कभी स्वीकार नहीं कर सकते है ।



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