अटल बिहारी वाजपेयी पर निबंध – Essay on Atal Bihari in Hindi

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अटल बिहारी वाजपेयी पर निबंध – Essay on Atal Bihari Vajpayee in Hindi 

इस लेख में हम एक लोकप्रिय नेता “अटल बिहारी वाजपेयी” पर निबंध पढेंगे ! इस पोस्ट में मेने निम्न सभी Topic को कवर किया है जैसे “अटल बिहारी वाजपेयी पर निबंध”, "अटल बिहारी वाजपेयी जी की जीवनी" या "Hindi essay and Biography In Hindi on atal bihari vajpayee ji", 

हमारी वेबसाइट पर आपको लगभग सभी सफल और लोकप्रिय लोगों पर एक निबंध मिल जायेगा तो चलिए आज के हमारे टॉपिक “अटल बिहारी की जीवनी” को शुरू करते है. देश के सफल वक्ता के रूप में प्रसिद अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को हुआ था ! इनके पिता जी पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी में स्कूल शिक्षक थे और इनके दादा जी पंडित श्याम लाल वाजपेयी जी संस्कृत के जाने माने विद्वान थे !

Education of Atal Bihari ji – अटल जी की शिक्षा

अटल जी के नाम से प्रसिद्ध श्री वाजपेयी जी की शिक्षा विक्टोरिया कॉलेज में हुई थी वर्तमान में इस कॉलेज का नाम बदल कर लक्ष्मीबाई कॉलेज कर दिया गया है ! राजनीती विज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए श्री वाजपेयी कानपूर चले गए जहाँ उन्होंने डी.ए.वी कॉलेज से राजनीतिशास्त्र में एम.ए पास किया !

इसके बाद उन्होंने कानून की शिक्षा लेनी शुरू की श्री वाजपेयी जी के पिता श्री कृष्ण बिहारी जी भी नौकरी से अवकाश लेने के बाद अटल जी के साथ ही कानून की शिक्षा लेने के लिए उनके कॉलेज आ गए दोनों बाप-बेटे कॉलेज के एक ही कमरे में रहते थे लेकिन अटल जी कानून की शिक्षा पूरी नहीं कर पाये.

श्री वाजपेयी जी राष्टीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े

श्री वाजपेयी अपने प्रारंभ जीवन में ही राष्टीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए ! इसके अलावा वह आर्य कुमार सभा के भी सक्रिय सदस्य रहे ! 1942 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया ! 1942 में उन्होंने कांग्रेस का दामन थम लिया ! 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के तहत उन्हें जेल जाना पड़ा ! 1946 में राष्टीय स्वयं सेवक संघ ने उन्हें अपना प्रचारक बनाकर लड्डूओं की नगरी संडीला भेजा ! उनकी प्रतिभा को देखते हुए राष्टीय स्वयं संघ ने लखनऊ से प्रकाशित राष्ट्धर्म पत्रिका का संपादक बना दिया ! 

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इसके बाद राष्टीय स्वयं सेवक संघ ने अपना मुख्यपत्र पांचजन्य शुरू किया जिसका पहला संपादक श्री वाजपेयी जी को बनाया गया ! वाजपेयी जी ने पत्रकारिता क्षेत्र में कुछ ही वर्षो में अपने को स्थापित कर ख्याति अर्जित कर लि बाद में वाराणसी से प्रकाशित चेतना, लखनऊ से प्रकाशित देनिक स्वदेश और डेल्ही से प्रकाशित वीर अर्जुन के संपादक रहे 

श्री वाजपेयी जी ने पहली बार लखनऊ से लोकसभा का चुनाव लड़ा

श्री वाजपेयी जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे ! अपनी क्षमता, बोद्धिक कुशलता व सफलता की छवि के कारण श्री वाजपेयी श्यामा प्रसाद जी के निजी सचिव बन गए ! श्री वाजपेयी जी 1955 में पहली बार लोक सभा चुनाव लड़ा ! उस समय वह विजयालक्ष्मी पंडित द्वारा खाली की गई लखनऊ लोक सभा सिट से उप चुनाव हार गये ! आज भी श्री वाजपेयी का चुनाव क्षेत्र लखनऊ ही है 

श्री अटल बिहारी जी ने बलरामपुर से चुनाव जीता

1957 में बलरामपुर सिट से चुनाव जीतकर श्री वाजपेयी लोक सभा में गये लेकिन 1962 में वे कांग्रेस की सुभद्रा जोशी से चुनाव हार गए ! 1967 में उन्होंने फिर इस सीट पर कब्ज़ा कर लिया ! 1971 में ग्वालियर, 1977 और 1980 में नई दिल्ली, 1991, 1996 तथा 1998 में लखनऊ सिट से विजय प्राप्त की ! आप दो बार राज्य सभा के सदस्य भी रहे ! 1968 से 1973 तक आप जनसंघ के अध्यक्ष रहे ! 1977 में जनता पार्टी के विभाजन के बाद भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई ! जिसके आप संस्थापक सदस्यों में से एक है

श्री अटल जी पदम् विभूषण से सम्मानित किये गए

1962 में आपको पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया ! 1994 में आप श्रेष्ट सांसद के रूप में गोविन्द वल्लभ पन्त और लोकमान्य तिलक पुरुस्कारों से सम्मानित किये गए ! आपातकाल के बाद मोरारी जी देसाई जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने आपको अपने मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री बनाया ! विदेश मंत्री पद पर रहते हुए आपने पडोसी देशों खासकर पाकिस्तान के साथ मधुर संबध बनाने की पहल कर सबको चोंका दिया

श्री वाजपेयी जी की मुख्य पुस्तकें 

श्री वाजपेयी एक प्रखर नेता होने के साथ-साथ कवि व लेखक भी है ! आपने अनेक पुस्तकें लिखी है जिनमे उनके लोकसभा में भाषणों का संग्रह “लोकसभा में अटल जी”, “मृत्यु या हत्या”, “अमर बलिदान”, “केदि कविराय की कुंडलीयां”, “न्यू डाइमेंशन ऑफ़ इंडियन फोरेन पालिसी”, आदि प्रमुख है ! आपका काव्य संग्रह “मेरी इक्यावन कविताएँ” प्रमुख है

अटल जी प्रधानमंत्री पद पर दुबारा आसीन हुए 

विनम्र, कुशाग्र बुद्धि एवं प्रतिभा संपन्न श्री वाजपेयी 19 मार्च 1998 को संसदीय लोकतंत्र के सर्वोच्च पद पर प्रधानमंत्री के रूप में दोबारा आसीन हुए थे ! लगभग 22 माह पहले भी वे इस पद को सुशोभित कर चुके थे लेकिन अल्प बहुमत होने के कारण उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा था ! विशाल जनादेश ने श्री वाजपेयी से स्थायी और सुदृढ़ सरकार देने का आग्रह किया है.

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उनकी बढती हुई उम्र को देखते हुए भाजपा ने उन्हें संसदीय दल का नेता पद नहीं दिया ! यह पद लालकृष्ण अडवाणी जी को दिया जो विपक्ष के नेता है ! वाजपेयी के अच्छे कार्यों के कारण पाकिस्तान तक में उनको याद करते है ! यहाँ तक की पाकिस्तान के राष्टपति तक ने उनके पुन: सत्तासीन न होने पर दुःख व्यक्त किया है ! वाजपेयी जी का नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा?

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