Essay on newspaper in hindi - समाचार पत्र पर निबंध 


हेल्लो दोसतो इस पोस्ट में आपको newspaper पर full essay in hindi language में या समाचार पत्र पर निबंध पढनें को मिलेगा और साथ ही history of newspaper और इसके बारे में अन्य सामान्य जानकारी भी प्राप्त होगी तो चलिए शुरू करते हैं.


History of Newspapers in hindi - समाचार पत्र का इतिहास?


सामाजिक प्राणी होने के नाते आज का मानव जिज्ञासा और ज्ञान की और सदैव आमुख रहता है ! वह लगातार बदलती हुई देश-विदेश की सामाजिक ,आर्थिक, और राजनैतिक परिस्तिथियों पर नजर बनाये रखना चाहता है ! आज के वैज्ञानिक युग में रोज नए-नए आविष्कार हो रहे है और इन सबको जानने का सबसे सस्ता माध्यम समाचार पात्र ही है ! इसमें सम्पूर्ण विश्व में घटित ताजा घटनाओ का सारपूर्ण संकलन होता है ! 


आज से कुछ शताब्दी पहले तक कोई समाचार पत्रों को जानता तक नहीं था ! तब संदेशवाहक होते थे जो यहाँ से वहा समाचार पहुचाने का कार्य करते थे ! इनकी शुरुआत के बारे में कई लोगो के अपने –अपने मत है ! कुछ लोगो का मानना है की समाचार पत्रों का जन्म इटली के वेनिस नगर में हुआ तो कुछ लोग इस बात पर जोर देते है की 1609 में जर्मनी से इनकी शुरुआत हुई.


Starting of Newspaper in India - भारत में शुरुआत?


भारत में सबसे पहले सन 1834 में INDIA-GUDGET नामक समाचार पात्र का प्रकाशन हुआ ! मुद्रण कला की प्रगति होने के बाद हिंदी का पहला साप्ताहिक समाचार पत्र, 30 मई 1826 को प्रकाशित हुआ जो उदंत-मार्तंड के नाम से जाना जाता था ! फिर राजा राम मोहन राय ने कौमुदी तथा ईश्वरचंद्र विद्यासागर ने भी प्रभाकर नामक पत्र निकाले ! 


इसके बाद तो एक-एक करके सारे देश में ही कई प्रसिद्ध समाचार पत्रों का प्रकाशन शुरू हो गया और पाठकों की रूचि के अनुसार उनकी संख्या लगातार बढ़कर आज 50000 प्रतिदिन तक आ गयी है ! इनमे दैनिक तथा साप्ताहिक सभी प्रकार के समाचार पत्र सम्मिलित है ! रोजाना छपने वाले समाचार पत्र दैनिक तथा सप्ताह में सिर्फ एक बार छपने वाले समाचार पत्र साप्ताहिक कहलाते है इसी तरह एक पखवाड़े में छपने वाला समाचार पात्र पाक्षिक कहलाता है.


Newspaper: Face of World?


समाचार पत्रों के माध्यम से ही देश में लोकतंत्र को अपार सफलता मिली और ये जनता की आवाज तथा आपसी संवाद का माध्यम भी बने ! कई महान देशो के उत्थान और पतन में भी समाचार पत्रों का विशेष योगदान रहा ! समाचार पत्र कई आन्दोलन और विरोध सम्बन्धी घटनाओ के जनक रहे है ! 


एक समय था जब समाचर पत्रों की स्तिथि देश में सभी जगह अच्छी नहीं थी और लोगो को घटनाओ की आवश्यक जानकारी के लिए भी इधर से उधर भटकना पड़ता था ! कई मामलो में तो घटना के घटित हो जाने के कई दिनों बाद तक लोगो को इसका पता चलता था ! आज समाचार पत्रों ने अन्तराष्ट्रीय दूरी को भी कम कर दिया है ! अधिकतर समाचार पत्रों में सामाजिक मूल्यों को ही महत्व तथा प्राथमिकता दी जाती है ! समाचार पत्र से अभिप्राय ही है –की सबके साथ सामान आचरण होना.


Newspaper: Background Process?


किसी भी समाचार पत्र की सफलता उसके संवाददाता पर निर्भर करती है साथ ही इसके संपादन और व्यवसाय में अधिक लोगो और धन की आवश्यकता पड़ती है ! एक समाचार पत्र संवाददाता के बाद उसके संपादक फिर COMPOSSING के लिए भेजा जाता है ! 


यहाँ से निकल कर वह अपने अगले स्तर PROOFING उसके बाद पेज और अंत में छपने के लिए MACHINE विभाग में भेजा जाता है ! पूरी तरह तैयार हो जाने के बाद उसे हवा , रेल या सड़क मार्ग की यात्रा करनी पड़ती है ! वितरण करने से पहले इसमें स्थानीय विज्ञापन ,उत्पाद आदि भी सम्मिलित कर दिए जाते है ! इनमे युवा से लेकर वृद्ध तक तथा बच्चो से लेकर महिलाओ तक पठन सामग्री उपलब्ध रहती है.


Types of Newspapers in Iindia?


भारत में समाचार लगभग सभी भाषाओ जैसे हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, बंगाली, मराठी, संस्कृत आदि में छपते है ! विभिन्न क्षेत्रो तथा बोले जाने वाली भाषाओ के आधार पर यह स्तिथी अलग-अलग स्तर तक पाई जाती है ! प्रमुख भारतीय हिंदी अखबार-नवभारत टाइम्स, देनिक हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, दैनिक भास्कर, राजस्थान पत्रिका, पंजाब केसरी आदि है ! 


अंग्रेजी में छपने वाले अखबारों में टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिन्दुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस एशियाई ऐज आदि प्रसिद्ध है ! इनके अलावा भी कई ऐसे स्थानीय अखबार है जिनकी संख्या कम होने या क्षेत्र विशेष में पहुच होने से वो इतने प्रसिद्ध नहीं हो पाए है.


Newspapers future in India?


वर्तमान में विचारों की प्रधानता है और विचारो को स्पष्ट और सही रूप में व्यक्त करने का श्रेष्ठ साधन समाचार पत्रों के अलावा और कुछ हो नहीं सकता ! समाचार पत्रों की पहुँच देश के कोने-कोने में गरीब, असहाय, आम जनमानस से लेकर सभ्य, शिक्षित और संपन्न लोगो तक है ! 


समाचार पत्र समाज और राजनीति की कुरीतियों को भी हटाने तथा विरोध करने में अब तक सफल साबित हुए है ! समाचर पत्र सरकार की तानाशाही नीतियों को आम जनता को प्रभावी रूप में समझाते है और उस राजनैतिक दल की दशा और दिशा परिवर्तन करने की क्षमता रखते है अतः भारत में समाचार पत्रों का भविष्य अत्यंत ही उज्जवल है.


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