कन्या भ्रूण हत्या पर निबंध - Female Foeticide Essay in Hindi
इस सामाजिक विक्रति ने आधुनिक युग में जन्म लिया और लगातार विकराल ही होती चली गयी ! भ्रूण हत्या आजादी से पूर्व इतनी विकराल नही थी क्योंकि तब ऐसी तकनीक या इसका इतना प्रचार नहीं हुआ करता था ! आंकड़े बताते है की देश में यह स्थिती बिगड़कर गंभीर बन चुकी है और देश में प्रति पुरुषो के प्रति महिलाओ की संख्या 2001 की जनसँख्या की गणना के अनुसार घटकर सिर्फ 933 ही रह गयी है ! पिछले हर दशक में यह नकारात्मक परिवर्तन आया है और आज भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
भ्रूण हत्या के कारण:-
हमारी परंपरागत सोच ही भ्रूण-हत्या का प्रमुख कारण है ! जैसे बेटा नहीं होगा तो वंश कैसे चलेगा, बुढापे में रोटी कोन देगा , चिता में आग कोन लगाएगा –आदि ! इन अनैतिक तर्क के आधार पर हमारी इस निम्न स्तर की सोच को बल मिला और वो भूल गए की बेटी हुई तो वह अन्तरिक्ष में जाने वाली कल्पना चावला या फिर देश की पहली महिला आर ए एस ऑफिसर किरन बेदी भी बन सकती है !
परन्तु न ही तो हमारी सोच बदली और न ही वर्तमान में बदलती हुई दिख रही है ! लोगो का तेजी से गिरता आर्थिक स्तर, रोजगार के सद्जनो में कमी और तेजी से बढती महंगाई भी इसका प्रमुख कारण है ! आज देश में केरल ही एकमात्र ऐसा राज्य बचा है- जहा पुरुषो के मुकाबले महिलाओ की संख्या अधिक या कहा जा सकता है की संतोषजनक है !
भ्रूण हत्या से बढ़ता असंतुलन:-
एक औसत के अनुसार देश में प्रतिवर्ष लगभग 50000 गर्भपात कराये जा रहे है यदि देश में जनसंख्या के असंतुलित होने की यही स्थिती बनी रही तो फिर बेटी न होने से भाई की कलाई सुनी रहेगी, हमारे बेटो के लिए बहु नहीं मिलेगी और गंभीर प्रश्न तो ये है की अगली पीढ़ी ही देखने को कैसे मिलेगी क्योंकि कोख का अधिकार और माँ बनने का अधिकार तो प्रक्रति ने नैसर्गिक रूप से सिर्फ स्त्री को ही प्रदान किया है !
हमारी आज की बेटी को जीवन, शिक्षा, चिकित्सा की उचित सुविधा दिए बिना अगली पीढ़ी की कल्पना करना भी व्यर्थ ही है ! अल्ट्रासाउंड की जो तकनीक विज्ञान में चिकित्सा जगत की क्रांति के रूप में सामने आई थी उसे कुछ असामाजिक और अनैतिक तत्वों ने बेटियों के लिए ही इस क्षेत्र की सबसे बड़ी बाधा बना डाला.
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