Ganga pollution essay in hindi - गंगा-प्रदूषण पर निबंध


प्रस्तावना:- भारतवर्ष में गंगाकेवल मात्र एक नदी नहीं होकर सम्पूर्ण भारतीयता का और यहाँ के जनमानस की आस्था का प्रतीक है ! हिमालय की गोद से निकल कर मैदानी क्षेत्रो तक इसका मोक्ष देने वाली नदी के नाम पर परिचय दिया जाता है ! जीवन में एक बार स्नान किया जाना तो धार्मिक द्रष्टि से अत्यंत ही आवश्यक माना गया है ! भारतीय परम्परागत सभ्यता-संस्कृति का क्रमबद्ध विकास क्रमश: गंगा-यमुना जैसी नदियों के तट पर हुआ ! 

इसके जल का महत्त्व इतना है की वर्षो तक डिब्बा-बोतल आदि में बांध रखने पर भी वह ख़राब नहीं होता और ना ही उसमे किसी प्रकार के कीड़े आदि लगते है ! भारतीय जन-जन की आस्था का केंद्र गंगा को केवल एक सामान्य नदी नहीं मानकर इसे शास्वत माँ, वैतरणी, मोक्षदायिनी आदि की संज्ञा दी गयी है ! तथा इसकी हिन्दू धार्मिक ग्रंथो में इसकी उत्पत्ति श्रष्टि के संहारक देवता शिव की जटाओ से मानी गयी है ! 


पौराणिक कथाओ के अनुसार इसे प्रथ्वी पर लेन वाला भागीरथ था अत: इसका एक नाम भागीरथी भी मन गया है ! इतना महत्व होने पर भी इसके वर्तमान अस्तित्व को लेकर कुछ विषमताए भी है.


गंगा-प्रदूषण के प्रमुख कारण:- reason of ganga pollution  


हाल ही में किये गए एक वैज्ञानिक परिक्षण और अनुभव के आधार पर कुछ शोध बताते है की धीरे-धीरे गंगा का जल अशुद्ध हो रहा है और इसकी पवित्रता दिनों-दिन समाप्त होती जा रही है ! यह पवित्र नदी अब लगातार प्रदूषित होकर गंदे नाले का रूप लेती जा रही है ! इसके किनारों वाले शहरों में आबादी का दबाव अत्यधिक बढ़ने से मल-मूत्र की गंदगी और अन्य गंदे पानी आदि के निकास की उचित व्यवस्था नहीं होने से उसे पास ही की नित्यावाही नदी में छोड़ा दिया जाता है जो या तो मुख्या रूप में गंगा ही है या उसकी सहायक नदी है जो आगे जाकर गंगा में मिल जाती है ! 

कई जगह कारखानों का रसायनयुक्त विषैला जल भी इसमें आकर मिल रहा है ! खेतो में किये जाने वाले यूरिया, फास्फेट आदि खाद पदार्थो का जल भी अधिक वर्षा होने पर इसी में आकर मिल रहा है ! गंगा के घाटो के किनारे किये गए दाह-संस्कार, प्लास्टिक का लगातार बढ़ता प्रयोग भी इसके प्रदूषण के स्तर को बढा रहे है ! कई क्षेत्रो में तो जल-दाह के नाम पर समूची लाशें ही इसमें बहा दी जाती है ! मर्तको की अस्थिया, मृत-शिशु, संक्रमित और बाढ़ का कचरा, म्रत आवारा पशु आदि भी इसको प्रदूषित करने के अन्य कारण है.


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गंगा-प्रदूषण के निवारण के उपाय:- 

 गंगा को प्रदूषित होने से बचाना समाज और सरकार दोनों का संयुक्त काम है और दोनों के सामंजस्य से ही इस क्षेत्र में सफल प्रयास किये जा सकते है ! इसका कटाव रोकने को दोनों किनारों पर किया गया वर्क्षो का लगातार कटाव रोकना होगा और स्थानीय लोगो को जाग्रत करना होगा ! सरकार को शोधक संयत्र आदि लगाकर कारखानों के रसायन के निस्तारण के लिए अन्य विकल्प तलाशने होंगे ! 

समाज को भी विधुत शव-दाह गृह आदि नई तकनीक अपनाकर परम्परागत तरीके का त्याग कर इसका प्रदूषण रोकना होगा ! इसके स्थायी समाधान के लिए सरकार को न केवल कागजो में बल्कि धरातल पर स्थायी और प्रभावी योजनाये चलानी पड़ेगी साथ ही प्रदूषण करने पर उचित दण्ड और जुर्माने की व्यवस्था कठोरता से लागु करनी पड़ेगी ! लोगो को रासायनिक के प्रयोग के स्थान पर जैविक क्रषि की प्रणाली अपनानी पड़ेगी ! 

इसके क्षेत्रीय किनारों पर बसने वाली स्थानीय जनसँख्या को इसका महत्त्व समझाना होगा और उनके रोजगार के लिए ऐसी अन्य व्यवस्था करनी पड़ेगी जिससे उनका जीवन-निर्वाह भी होता रहे और गंगा भी प्रदूषित नहीं हो ! कचरों के संग्रह केंद्र बनाकर उनके शोधन की व्यवस्था लागु करनी होगी ! परिवर्तन के इस दौर में आम जनता को भी आधुनिक और वैज्ञानिक द्रष्टिकोण अपनाना होगा ! अन्य सभी कारण जिनसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में इसका प्रदूषण बढ़ रहा है उनके निराकरण की व्यवस्था समाज और सरकार को मिलकर करनी होगी.


उपसंहार:- गंगा के जल का शुद्ध होना एक तरह से सम्पूर्ण भारतीयता की शुद्धता करना ही कहा जा सकता है क्योंकि देश के प्रमुख शहरों में बहने वाली गंगा भारत को मोक्ष देने वाली नदी बताई गयी है देश का हिन्दू वर्ग तो अपने जीवन में हरिद्वार स्तिथ गंगा-स्नान को सर्व श्रेष्ठ तीर्थ समझता है ! उद्गम स्थल गंगोत्री से लेकर समस्त भारत में इसके जल की पवित्रता का महत्व किसी से छिपा हुआ नहीं है ! यह कई प्रकार की आयुर्वेदिक ओषधियों में भी प्रयुक्त होता है ! 

प्रत्येक हिन्दू के पूजा-घर में इसका अनिवार्य स्थान है ! इस प्रकार भारतीयता और उसकी अनन्त काल से चली आ रही सभ्यता-संस्कृति को अक्षुण बनाये रखने के लिए गंगा का प्रदूषण समाप्त किया जाना अत्यंत ही आवश्यक है ! लगातार जा रहे विषैले जल को इसमें मिलने से रोकना होगा तभी इस नदी का पवित्र रूप हम भावी पीढियों को दे सकेंगे.

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