Indian culture essay in hindi - भारतीय संस्कृति पर निबंध?

hindi nibandh
0

Full essay on "Indian Culture" in Hindi - भारतीय संस्कृति पर निबंध?


Now find out full Culture" in hindi (इंडियन कल्चर एस्से), इस पेज में भारतीय संस्कृति पर पूरा निबंध दिया गया है? यहाँ पर स्कूल के विद्यार्थियों के लिये बेहद सरल शब्दों के साथ निबंध उपलब्ध करा रहें हैं तो चलिए शुरू करते हैं.


Indian culture essay in hindi - भारतीय संस्कृति पर निबंध


भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीन संस्कृतियों में से एक है ! इसकी सबसे बड़ी विशेषता जीवन में योग व त्याग का समन्वय है ! विद्वानों ने संस्कृति की परिभाषा देते हुए कहा है की संस्कृति का अर्थ स्वभाव, चरित्र, विचार और कर्म की वे अच्छाईयां है जो शिष्ट लोगों के जीवन का अंग होती है तथा जिनकापालन परिवार, वर्ग, समाज तथा राष्ट्र की विशेषता बन जाता है ! 


संस्कृति में धर्म, समाज, निति, राजनीती, दर्शन, साहित्य, परम्परायें, मानवीय मूल्य तथा सोन्दर्य बोध आदि सभी समाहित होते हैं ! हमारे देश की जनसंख्या आज करीब एक अरब से भी अधिक हो गई है ! इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद अनेकता पाया जाना कोई बड़ी बात नहीं है ! हमारे देश में करीब दो हजार से ज्यादा जातियां है ! इसी तरह भाषाओँ और बोलियों की संख्या भी पांच सौ से अधिक है


Indian Culture सबको सुखी और प्रसन्न रखना चाहती है ! यह वसुधा को ही कटुम्ब मानने में विश्वास रखती है ! भारतीय संस्कृति का मुख्य उद्देश्य सार्व जन हिताय तथा सार्व जन सुखाय है ! भारतीय संस्कृति में कहा गया है की व्यक्ति जिस रूप में ईश्वर की अर्चना करता है ईश्वर भी उसी रूप में स्वीकार करता है ! केवल श्रद्दा सच्ची होनी चाहिए ! वैदिक काल से ही भारतीय संस्कृति में ईश्वर के विभिन्न रूपों को मानने की स्वतंत्रता थी जो की निरंतर जारी है ! 


यही कारण है की हमारी संस्कृति में ईश्वर को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है ! भारतीय संस्कृति की एक और विशेषता है की यह आनंद प्रधान है ! इससे हमें सिख मिलती है की सुख-दुःख, लाभ-हानि, विजय-पराजय, उत्थान-पतन, हर्ष-विषाद आदि में मानसिक संतुलन और संभव बनाये रखना चाहिए ! उक्त गुण हर भारतीय में देखने को मिलते है ! भारतीय संस्कृति अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण आज भी अपने को बचाये हुए है ! ऐसे गुण न होने के कारण ही यूनान, मिश्र तथा रोम आदि संस्कृतियों के बारे में पढने या सुनने को तो मिलता है लेकिन देखने में नहीं मिलता?

भारतीय साहित्य, संगीत, मूर्तिकला, चित्रकला, वास्तुकला, नृत्यकला आदि को देखने से यह स्पष्ट हो जाता है की भारतीय संस्क्रती वाले भारतीयों का जीवन हमेशा आनन्दपूर्ण रहा है ! इस बात का संदर्भ उपनिषदों में भी देखने को मिलता है ! भारतीय संस्क्रती की तीसरी विशेषता है कर्मवाद ! इसके तहत यहाँ किसी को भी कर्म से मुक्ति नहीं है ! चारों वर्णों और आश्रमों के लोगों के लिए नियत कर्म आजीवन करने का आदेश है ! 


भारतीय संस्क्रती की चौथ विशेषता विचारों की स्वतंत्रता है ! यदि सरल और साफ़ शब्दों में कहा जाये तो इससे अभिप्राय अपना-अपना मत प्रकट करने की या विचार परिवर्तन करने की हमारे देश में हमेशा स्वतंत्रता रही है. शासन की और से किसी को कोई मत विशेष मानने के लिए बाध्य नहीं किया जाता ! किसी विशाल हर्दय स्वतंत्रता तथा उदारता के कारण हमारे देश में सार्व धर्म समभाव पाया जाता है ! 


मतों या विचारों को लेकर हमारे देश में कभी खून-खराबा नहीं हुआ ! इसको लेकर शास्त्रार्थम वेड और उपनिषदों की उदारता, दर्शनशास्त्र, जातक ग्रंथों, रामायण और महाभारत में भी दिखाई पड़ती है ! पश्चिमी देशों के विद्वानइसी कारण भारतीय संस्क्रती पर मुग्ध हो इसका गुणगान करने के लिए बाध्य हुए ! थोरों, वार्ड, सोपनहावर जैसे अंग्रेज़ी दार्शनिकों ने भी श्रद्धापूर्वक भारतीय संस्क्रती की सराहना की है ! 


भारतीय संस्क्रती की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यह सबको अपनाने, सबको गले लगाने, सबके गुणों को ग्रहण करने और सबकी विशेषताओं को सराहने की शिक्षा देती है लेकिन अब भारतीय संस्क्रती पर पाश्चात्य संस्क्रती धीरे-धीरे हावी होती जा रही है ! त्याग, तपस्या, दया तथा संतोष का स्थान अब भोगवाद व भौतिकवाद लेता जा रहा है ! संस्क्रत व हिंदी भाषा छोड़ जनता अंग्रेज़ी के पीछे भाग रही है ! खान-पान, रहन-सहन, आचार-विचार समेत हर क्षेत्र में हम लोग पाश्चात्य संस्क्रती का अनुसरण करने लगे है ! इस प्रकार हम अपनी भारतीय संस्क्रती से मुहँ मोड़ने लगे


एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)